Saturday, March 24, 2007

अश्क

अश्कों से इश्क की है यारी , क्या कहें,
यही शौक , है यही दुश्वारी , क्या कहें।

कीमत खुदा की बेखुदी में भूलता रहा,
उसने भी की रखी थी तैयारी , क्या कहें।

ता-उम्र होश देने के ख्वाहिशमंद थे,
दी आपने जिगर की लाचारी ,क्या कहें।

सदियों ने मेरी किस्मत को लूटा इस कदर,
है आई बारहा मेरी बारी, क्या कहें।

यूँ बिस्मिल है 'तन्हा' अपना दर्द कह रहा,
कब की हीं खो चुका है खुद्दारी,क्या कहें।


-विश्व दीपक 'तन्हा'

Wednesday, March 07, 2007

कुछ हाइकू (मेरे प्रथम प्रयास)

१. पूजा की थाली
मटमैली कसैली
तीखी जिंदगी ।

२. सधा दिमाग
बेसुध दिन-रैन
इंजीनियर ।

३. फिट तिजोड़ी
अनफिट लकीरें
सफल नेता ।

४. किन्नर प्रभु
लाचार समर्पण
बाबरी ध्वंस ।

५. बुभुक्षु बड़ी
गरीब की किस्म्त
जों फटा पेट ।

६. रक्तिम ट्रेन
नैसर्गिक संदेह
शराबी खुदा ।

७. संगीन न्याय
सद्दाम और बुश
पवित्र पापी ।

-विश्व दीपक 'तन्हा'